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ठोकर खा कर उठाना भी पड़ता है दोस्त | सफलता यूही नही मिलती

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किसी ने एक मूर्तिकार से पूछा - क्या पत्थर पर चोट करते ही मूर्ति उभर आती है? उसने उत्तर दिया - भाई! मूर्ति तो पहले से ही वहाँ थी, मैं तो बस पत्थर को मारकर बेकार हिस्से हटा रहा हूँ। और जो काम मैं कर रहा हूँ, वह उससे भी कठिन है। मैंने अपना जीवन बदल लिया है। मैं तो बस अपनी बातों से किसी और का जीवन बदलने का प्रयास कर रहा हूँ। यह सबसे कठिन काम है, क्योंकि हम उसका विश्वास जीतने की कोशिश कर रहे हैं। आपका कार्यक्षेत्र क्या है? सोचते रहो । अगर आप अगले 4 से 5 साल तक ऐसे ही लोगों से मिलते रहेंगे, तो मैं कहता हूँ कि अगर आप असफल भी हो गए तो आप उससे इतना कुछ सीखेंगे कि आप जीवन में कुछ बन जाएंगे । यह व्यवसाय इसी प्रकार कार्य करता है। मैं तुम्हें और आगे ले चलूँगा, यह खतरनाक है। इसलिए ध्यानपूर्वक निरीक्षण करें। चलिए, इसे जोर से पढ़ते हैं - मैंने एक दोहा लिखा है: "जीवन में एक बार चोट लगने पर ज्ञान प्राप्त होता है; पत्थरों को पीसने के बाद ही मेंहदी का रंग लगाया जाता है।" जीवन में एक बार चोट लगने पर ज्ञान प्राप्त होता है; पत्थरों पर घिसने के बाद ही मेंहदी का रंग चढ़ता है। दुनिया में ऐसी कोई मेहं...

इन जगहो पर चुप रहना सही रहता है : एक युवक एक बौद्ध भिक्षुक के पास पहोचा

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आपका अपमान ही होगा ! जरा तुम खुद सोचो, जब कोई बीमार आदमी अपनी बीमारी के बारे में चर्चा कर रहा हो और तुम्हें उस बीमारी के बारे में कोई ज्ञान न हो, लेकिन फिर भी तुम व्यर्थ में उसे ऐसी औषधियां बता रहे हो जिनका उसकी बीमारी से कोई लेना-देना नहीं है, तो ऐसे में तुम अपना Respect अपने ही हाथों से खो रहे होते हो और तुम्हें पता भी नहीं चलता। ऐसी परिस्थिति में इंसान को हमेशा सुनना चाहिए। ध्यान से सुनना भी एक कला होती है। अगर तुम सुनने का सिर्फ दिखावा करोगे, तो कहीं न कहीं सामने वाले को यह एहसास हो जाएगा कि तुम उसकी बात पूरी तरह से नहीं सुन रहे हो। इसलिए, जब किसी विषय की पूरी जानकारी न हो, तो वहां पर केवल अपने कान लगाना ही ज्यादा महत्वपूर्ण होता है । तुम सामने वाले की बातें ध्यान से सुन सकते हो, और इसी बीच तुम दोनों के बीच एक सच्चा संबंध पैदा होगा, क्योंकि तुमने उसकी बातों को बड़े ध्यान से सुना है। यह बात सामने वाले को भी पता चलती है। इसलिए, बिना कुछ बोले, केवल सुनने मात्र से भी तुम किसी को अपना मित्र बना सकते हो। भोजन करते समय मौन रहना दूसरी जगह, जहां इंसान को हमेशा चुप रहना चाहिए, वह...

स्वामी विवेकानंद की सीख : अपने काम पर Focus करो

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एकाग्रता: सफलता की कुंजी – स्वामी विवेकानंद की प्रेरणादायक कहानियाँ स्वामी विवेकानंद ने कहा है कि "एकाग्रता सफलता की चाबी है। जब आप अपनी ऊर्जा को एक दिशा में लगाते हैं, तब असंभव भी संभव हो जाता है।" इस विचार को समझने के लिए हम स्वामी जी की तीन कहानियों के माध्यम से यह जानेंगे कि Attention कैसे केंद्रित किया जाए और सफलता कैसे प्राप्त की जाए। --- पहली कहानी: ध्यान केंद्रित करने की शक्ति एक दिन स्वामी विवेकानंद एक पार्क में बैठे थे। उन्होंने देखा कि एक लड़का एक खाली पृष्ठ पर कठिन श्लोक लिखने की कोशिश कर रहा था, लेकिन बार-बार गलतियाँ होने के कारण वह पन्ना फाड़कर फिर से लिखने लगता। कुछ समय बाद, जब उसका ध्यान स्वामी जी पर गया, तो वह उनके पास पहुँचा और प्रणाम करके बोला— "स्वामी जी, मैं तीन घंटे से यह श्लोक सही लिखने की कोशिश कर रहा हूँ, लेकिन बार-बार गलती हो जाती है, जिससे मुझे फिर से शुरू करना पड़ता है। मुझे समझ नहीं आ रहा कि मैं क्यों असफल हो रहा हूँ।" स्वामी विवेकानंद मुस्कुराए और बोले— "बेटा, इसका कारण सिर्फ ध्यान की कमी है। जब इंसान अपनी ऊर्जा बेकार की बातों और आ...

मतलबी रिश्ते नाते

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इंसान सिर्फ एक ही बात से अकेला पड़ जाता है , जब उसके अपने ही उसे गलत समझने लगते हैं। अजनबियों की तरह एक-दूसरे के साथ होते हैं, काम करते हैं, लेकिन एक-दूसरे की परवाह नहीं करते। मतलब ये रिश्ता ऐसे लोगों का समूह है, जिनके बहुत करीबी रिश्ते हैं, लेकिन दूसरों की भावनाओं की care नहीं करते। वे मिलनसार हो सकते हैं, लेकिन वे वास्तव में किसी और की भावनाओं के बारे में नहीं सोचते। जिंदगी की दौड़ में कभी धूप, कभी छाँव में बेगानों के साथ-साथ अपनों को भी बेगाना बनते देखा। बेफिक्र जिंदगी की एक छोटी-सी कहानी है, जो अपना होकर भी अपनापन ना दिखाए, वह अपना नहीं। मैंने Free कर दिया हर वो रिश्ता, हर वो इंसान, जो सिर्फ अपने मतलब के लिए मेरे साथ था। यह दुनिया दिखावे की बनी हुई है । यहाँ अपने तो असली में हैं, पर अपनापन दिखावे का है। " डियर " मतलब एक तू ही है, जिसने सब रिश्तों को जोड़े रखा है। रिश्तों की सिलाई अगर भावनाओं से होती है, तो टूटना मुश्किल है, और अगर स्वार्थ से हुई तो टिकना मुश्किल है। जिस दिन तुम्हारा सबसे करीबी Relationship तुम पर गुस्सा करना छोड़ दे, तब समझ लेना कि तुम उस इंस...

क्या आप भी काम से ज्यादा विचारों से घिरे रहते हो?

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सुधार की ओर पहला कदम जब आप खुद को सुधारने के लिए तैयार हो जाते हैं , तो आपको तुरंत यह अहसास हो जाता है कि दुनिया भी सुधर सकती है। लेकिन अगर कोई आपसे कहे कि इस दुनिया का कुछ नहीं हो सकता, तो समझ जाइए कि वह असल में यह कह रहा है कि "मेरा कुछ नहीं हो सकता।" अगर कोई व्यक्ति यह कहता है कि "मेरी पत्नी घर छोड़कर चली गई," तो उसका वास्तविक अर्थ यह है कि "मैं खुद को सुधारने को तैयार नहीं हूँ।" जो व्यक्ति खुद को सुधारने की ओर बढ़ता है, वह देख पाता है कि हर कोई बदल सकता है और हर किसी को सुधारने की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। एक बार जब आप स्वयं को निर्मलता (शुद्धता) और निर्दोषता के आनंद में डुबो देते हैं, तो आपको यह अनुभव होता है कि यह मिठास सिर्फ आपके लिए नहीं है, बल्कि इसे सबके साथ बाँटना चाहिए। फिर आप यह नहीं सह सकते कि आप तो निर्मल हो गए, लेकिन बाकी सब मलिन (अशुद्ध) रह जाएँ। यही क्षण वह होता है जब आपके भीतर उम्मीद जगती है, और उम्मीद से आगे जाकर श्रद्धा जन्म लेती है। वास्तविकता और विचारों की जटिलता जब आप अपने जीवन का निरीक्षण करते हैं और छोटी-छोटी चीज़ों को...

आलस - पहले यह दुश्मन को हराना जरूरी है

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सफलता का रहस्य: कर्म, पुरुषार्थ और अनुशासन हम सभी अपने जीवन में सफलता पाना चाहते हैं। लेकिन सफलता केवल इच्छा करने से नहीं मिलती—इसके लिए कर्म, अनुशासन और पुरुषार्थ का होना जरूरी है। अक्सर हम सोचते हैं कि " मैं मेहनत कर रहा हूँ , लेकिन परिणाम क्यों नहीं मिल रहा?" इसका उत्तर बहुत सरल है—केवल मेहनत करना ही पर्याप्त नहीं, बल्कि सही दिशा में, सही तरीके से और सही मानसिकता के साथ मेहनत करना आवश्यक है। प्रमुख स्वामी महाराज के जीवन से हम यह सीख सकते हैं कि "कल का काम आज करो, और आज का काम अभी करो!" यही वह मानसिकता है, जो हमें जीवन में आगे बढ़ा सकती है। --- 1. प्रोक्रैस्टिनेशन और आलस्य: सफलता के सबसे बड़े दुश्मन आपने कभी गौर किया है कि जब हमें कोई महत्वपूर्ण काम करना होता है, तो अचानक हमारा मन दूसरी चीजों में लगने लगता है? "पहले थोड़ा आराम कर लूँ, फिर काम करूँगा।" "चलो, पहले सोशल मीडिया चेक कर लेता हूँ।" "अभी मूड नहीं है, कल कर लूँगा।" यह आदत धीरे-धीरे हमारे जीवन को नुकसान पहुँचाती है। हम देखते हैं कि सफल लोग कभी भी टालमटोल नहीं करते। ...

Time Menagement - Time के गुलाम बन जाव

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टाइम मैनेजमेंट और फोकस को बेहतर बनाने का फ़्रेमवर्क हम सभी प्रोडक्टिविटी से जुड़े कई ब्लॉग देखते हैं और लोगों से सीखते हैं कि कैसे प्रोक्रेस्टिनेशन को हराकर ध्यान केंद्रित किया जाए। लेकिन जब इन सभी टिप्स को अपनी जिंदगी में लागू करने की बात आती है, तो यह लगभग नामुमकिन सा लगता है। इस समस्या को हल करने के लिए गूगल के डिज़ाइनर जैक फिस्के , जिन्होंने जीमेल और यूट्यूब जैसे प्रोडक्ट्स डिज़ाइन किए हैं, ने अपने अनुभवों से एक प्रभावी फ़्रेमवर्क तैयार किया है। इस फ्रेमवर्क को जैक फिस्के और जॉन ज़ेरेत्स्की ने अपनी किताब "Make Time: How to Focus on What Matters Every Day" में विस्तार से बताया है। इस वीडियो में हम आपके साथ वही फ्रेमवर्क शेयर करने जा रहे हैं। 1. हमारा समय कैसे खर्च होता है? टाइम मैनेज करने से पहले यह समझना जरूरी है कि हमारा समय कहां जा रहा है। आमतौर पर, हमारा दिन दो मुख्य कारणों से व्यस्त रहता है: Busy Bandwagon (व्यस्तता की आदत) – हम अपनी व्यस्तता को एक गर्व की बात मानते हैं और सोचते हैं कि हर मिनट कुछ प्रोडक्टिव करना जरूरी है। Infinity Pools (अनंत व्याकुलता क...