क्या आपको भी काम टालने की आदत है
कभी-कभी हमें लगता है कि आज काम करने का मन नहीं है—बस आज नहीं पढ़ना। फिर कुछ घंटों बाद अफसोस होता है कि एक और दिन बेकार चला गया। अगर आप सोचते हैं कि यह समस्या केवल जवानी तक सीमित है, तो आप गलत हैं।
43 रिसर्च स्टडीज के एक मेटा-एनालिसिस में पाया गया कि प्राइवेट ऑफिस में काम करने वाले लोग भी 30 से 60% जरूरी काम टालते हैं और लगातार ध्यान केंद्रित नहीं रख पाते। यानी, प्रोफेशनल और जिम्मेदार लोग भी इस समस्या से जूझते हैं, जिनकी सैलरी और बोनस सीधे उनकी परफॉर्मेंस पर निर्भर करता है।
कंसिस्टेंसी का पहला नियम: यह अदृश्य होती है, इसलिए कठिन होती है।
जाने-माने ट्रेडर और गणितज्ञ नसीम निकोलस तालिब अपनी किताब Fooled by Randomness में कहते हैं कि जीवन में प्रगति की रेखा सीधी नहीं होती। शुरुआत में कोई भी परिणाम नहीं दिखता, फिर अचानक एक दिन बदलाव नजर आने लगता है।
तालिब बताते हैं कि जब उन्होंने कॉलेज में गणित और सांख्यिकी पढ़ी, तो शुरुआत में वे बाजार की चाल नहीं समझ पा रहे थे। लेकिन एक साल तक लगातार अध्ययन के बाद, उन्होंने अचानक सही निर्णय लेने शुरू कर दिए। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि उनका दिमाग अनजाने में बाजार के पैटर्न को पहचानने लगा था।
यही कंपाउंडिंग का नियम है—लगातार अभ्यास करने से छोटे-छोटे सुधार मिलकर एक बड़ा अंतर पैदा करते हैं।
कंसिस्टेंसी बोरिंग लगती है, लेकिन यही सफलता की कुंजी है।
जब हम शुरुआत में कोई नई स्किल सीखते हैं, तो रिजल्ट धीरे-धीरे आता है। इसलिए हम अधीर हो जाते हैं और शॉर्टकट ढूंढने लगते हैं। लेकिन विराट कोहली भी कहते हैं—
"कंसिस्टेंसी बोरिंग है, इसलिए सफलता कठिन है।"
इसका सीधा मतलब है कि आपको एक नियमित दिनचर्या अपनानी होगी और उसके प्रति प्रतिबद्ध रहना होगा।
क्या करें?
1. सबसे जरूरी प्रैक्टिस चुनें और उसे प्राथमिकता दें।
माइक मैनसियस, जो लेब्रोन जेम्स और माइकल जॉर्डन के कोच रहे हैं, कहते हैं कि इन खिलाड़ियों की सफलता का सबसे बड़ा कारण यह है कि वे अपनी डेली रूटीन और ट्रेनिंग को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हैं।
चाहे वे चैंपियनशिप हारें या जीतें, छुट्टी पर हों या बिजी—उनकी दिनचर्या नहीं बदलती। वे जानते हैं कि छोटे-छोटे सुधार लंबे समय में बड़ा असर डालते हैं।
2. हर बार बेहतर होने की कोशिश करें।
लेब्रोन जेम्स के वर्कआउट किसी रहस्य से भरे नहीं हैं। वे किसी भी वेबसाइट पर उपलब्ध हैं। फिर भी, हर कोई उनकी तरह सफल क्यों नहीं बन पाता?
उत्तर: इंटेंसिटी!
वे हर ट्रेनिंग सेशन में पूरा फोकस और ऊर्जा झोंकते हैं, और यह लगातार सालों तक करते हैं।
अगर आप हर दिन सिर्फ तीन चीजों के प्रति कंसिस्टेंट हो जाएँ—
1. लिखना (अपने विचारों को स्पष्ट करने के लिए)
2. अभ्यास करना (कोई भी स्किल, जैसे स्टडी, कोडिंग, खेल)
3. मेडिटेशन और विज़ुअलाइज़ेशन (दिमाग को शांत और केंद्रित रखने के लिए)
तो आप 6 महीने में अपने आत्मविश्वास और क्षमताओं में भारी बदलाव देखेंगे।
3. शुरुआत करने पर फोकस करें।
अगर आप जिम जाना चाहते हैं, तो ज्यादा मत सोचिए—बस जूते पहनिए और वहां पहुँच जाइए।
अगर पढ़ाई करनी है, तो ज्यादा प्लानिंग मत कीजिए—बस बैग उठाइए और लाइब्रेरी पहुँच जाइए।
अच्छी आदतों को अपनाने का सबसे आसान तरीका है: बस शुरुआत करें!
4. कंसिस्टेंसी टूटे तो दोबारा तय करें।
कभी-कभी हमारी कंसिस्टेंसी टूट जाती है। लेकिन अगर ऐसा हो, तो खुद से Re-Negotiate करें।
उदाहरण के लिए, अगर आप आज 1 घंटा पढ़ाई नहीं कर पाए, तो अगले दो दिनों में 30-30 मिनट अतिरिक्त पढ़ने का संकल्प लें। इस वादे को पेपर पर लिखें या अलार्म लगाएँ, ताकि यह महज एक विचार बनकर न रह जाए, बल्कि एक वास्तविक एक्शन बने।
5. खुद को कठिन काम पूरा करते हुए देखें।
अगर आपको अगले दिन कोई मुश्किल काम करना है, तो उसे पहले से विज़ुअलाइज़ करें।
डेविड गॉगल्स (एक्स-नेवी सील) कहते हैं कि जब उन्हें कोई बहुत कठिन ट्रेनिंग करनी होती है, तो वे अपनी आंखें बंद करके खुद को उस ट्रेनिंग को सफलतापूर्वक करते हुए देखते हैं।
आप भी ऐसा कर सकते हैं:
1. अपनी आंखें बंद करें और सोचें कि आप अपने कठिन काम को पूरा कर रहे हैं।
2. खुद को सफलता के साथ उसे करते हुए देखें।
3. इसे बार-बार दोहराएं, ताकि आपका अवचेतन मन इसे स्वीकार कर ले।
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समाप्ति: सफलता का रहस्य
1. कंसिस्टेंसी का पहला नियम: शुरुआत में रिजल्ट नहीं दिखते, लेकिन कंपाउंडिंग से बड़े बदलाव आते हैं।
2. दूसरा नियम: सबसे जरूरी प्रैक्टिस चुनें और उसके पीछे डटे रहें।
3. तीसरा नियम: हर दिन पहले से बेहतर करने की कोशिश करें।
4. चौथा नियम: शुरुआत करना सबसे जरूरी है—दिमाग को ज्यादा सोचने न दें।
5. पाँचवाँ नियम: अगर कंसिस्टेंसी टूट जाए, तो खुद से फिर से वादा करें और उसे पूरा करें।
6. छठा नियम: कठिन काम करने से पहले खुद को विज़ुअलाइज़ करें।
याद रखिए, "लोग यह गलत अंदाजा लगाते हैं कि वे एक साल में क्या कर सकते हैं, लेकिन वे यह समझ ही नहीं पाते कि 10 साल में वे क्या बन सकते हैं।"
अगर आप लगातार छोटी-छोटी चीजों को सुधारते रहे, तो अगले 10 सालों में आप वह बन सकते हैं, जिसकी आज आप कल्पना भी नहीं कर सकते।
तो, आज से ही शुरुआत करें। खुद से एक वादा करें—और जीत की ओर बढ़ें!
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