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आचार्य चाणक्य के अनमोल विचार
दोस्तों!
आचार्य चाणक्य एक महान विद्वान और आचार्य थे। वे कौटिल्य और विष्णु गुप्त के नाम से भी जाने जाते थे। उनकी बुद्धिमानी और समझदारी की आज भी चर्चा होती है और लोग उन्हें मिसाल के रूप में देखते हैं।
इस ब्लॉग के माध्यम से आप आचार्य चाणक्य के अनमोल विचारों को जानेंगे, इसलिए वीडियो को अंत तक देखें।
व्यक्ति और चरित्र
20 वर्ष की आयु में व्यक्ति का जो चेहरा होता है, वह प्रकृति की देन होता है।
30 वर्ष की आयु में व्यक्ति का चेहरा जीवन के उतार-चढ़ाव की देन होता है।
50 वर्ष की आयु में व्यक्ति का चेहरा उसकी अपनी कमाई होता है।
ईश्वर को कुछ चीजें विशेष रूप से प्रिय होती हैं:
प्रेम से भरी हुई आँखें
श्रद्धा से झुका हुआ सिर
सहयोग करने वाले हाथ
सतमार्ग पर चलते पैर
सत्य से जुड़ी हुई जीभ
सौंदर्य और गुण
शारीरिक सुंदरता केवल एक रात की खुशी दे सकती है, लेकिन दिल की सुंदरता जीवनभर सुख देती है। इसलिए दिल से सुंदर महिला के साथ विवाह करना ज्यादा अच्छा है।
जन्म से आए गुणों को बदला नहीं जा सकता। जैसे, नीम के पेड़ पर दूध चढ़ाने से वह मीठा नहीं बनता।
दूध में पानी मिलाने से पानी भी दूध बन जाता है। उसी तरह, अच्छे लोगों की संगति में व्यक्ति अच्छा बन सकता है।
संबंध और व्यवहार
कभी किसी के सामने अपनी सफाई मत दो।
जिसे तुम पर विश्वास है, उसे इसकी जरूरत नहीं।
जो विश्वास नहीं करता, वह तुम्हारी सफाई को भी नहीं मानेगा।
बड़े हाथी को नियंत्रित करने के लिए एक छोटी सी श्रृंखला पर्याप्त है।
अहंकार को हटाने के लिए एक छोटा दीपक पर्याप्त है।
पहाड़ को गिराने के लिए एक बिजली की मार पर्याप्त है।
शरीर का आकार महत्वपूर्ण नहीं, केवल आत्मविश्वास और क्षमता मायने रखते हैं।
रिश्तों की परीक्षा इस प्रकार करें:
कामगार को छुट्टी के समय परखें।
दोस्त को संकट में परखें।
पत्नी की परीक्षा गरीबी के समय होती है।
सफलता और शक्ति
बुरी संगति, बुरी पत्नी और बुरे मित्र से अच्छा है कि अकेले रहो।
लालची इंसान को धन देकर वश में किया जा सकता है, लेकिन अच्छे इंसान को वश में करने के लिए सत्य बोलना पड़ता है।
राजा की ताकत उसकी सेना में, ब्राह्मण की ताकत उसके ज्ञान में, और स्त्री की ताकत उसकी मधुर वाणी में होती है।
दुष्ट व्यक्ति का कितना भी सम्मान कर लो, वह सदा दुख ही देगा।
भाग्य और कर्म
गरीब को धन की इच्छा होती है, पशु को बोलने की, आदमी को स्वर्ग की, और धार्मिक व्यक्ति को मोक्ष की।
जो गुजर गया, उसकी चिंता मत करो, और जो आने वाला है, उसकी भी चिंता मत करो।
भाग्य के विपरीत होने पर अच्छा कर्म भी दुखदाई हो जाता है।
प्यार और लगाव एक-दूसरे के दुश्मन हैं।
लगाव ही प्यार को खत्म कर देता है।
दौलत, दोस्त, पत्नी और राज्य दोबारा हासिल किए जा सकते हैं, लेकिन यह शरीर दोबारा नहीं मिलेगा।
सत्य और समाज
पृथ्वी सत्य पर टिकी है।
सूर्य की चमक, हवा का बहाव, सब सत्य की ताकत से ही है।
फूल की खुशबू हवा की दिशा में फैलती है, लेकिन व्यक्ति की अच्छाई चारों दिशाओं में फैलती है।
जिससे काम निकालना हो, उससे वही बात करनी चाहिए जो उसे अच्छी लगे।
संतुलित मन से बड़ी कोई तपस्या नहीं, संतोष से बड़ी कोई खुशी नहीं, लोभ से बड़ी कोई बीमारी नहीं, और दया से बड़ा कोई सदाचार नहीं।
सोने के साथ चाँदी भी चमकने लगती है।
अर्थात, सत्संग का प्रभाव मनुष्य पर अवश्य पड़ता है।
ईमानदारी और रिश्ते
जरूरत से ज्यादा ईमानदार मत बनो।
इस दुनिया में सीधे पेड़ पहले काटे जाते हैं और ईमानदार लोग पहले बेवकूफ बनते हैं।
अपने रहस्य किसी को मत बताओ, यह तुम्हें नष्ट कर सकता है।
हम उम्र से नहीं, बल्कि ठोकर और नुकसान से परिपक्व होते हैं।
मनुष्य का व्यवहार
एक बेवकूफ व्यक्ति के लिए किताबें उतनी ही उपयोगी हैं, जितना अंधे व्यक्ति के लिए आईना।
यदि सांप जहरीला न हो, तब भी उसे विषैला होने का नाटक करना चाहिए।
इंसान को शेर कहो तो खुश होता है, कुत्ता कहो तो नाराज।
समाज की सच्चाई
जो व्यक्ति सबके बारे में सोचता है, उसके बारे में कोई नहीं सोचता।
जिस रिश्ते को दुनिया के सामने नहीं ला सकते, वह एक दिन तुम्हें बर्बाद कर देगा।
परेशानी में दूसरों से मदद माँगने का कोई फायदा नहीं, 20% के पास समय नहीं और बाकी इससे खुश होंगे।
वास्तविकता और सफलता
जिंदगी में तूफान आने के बाद ही पता चलता है कि कौन साथ देगा और कौन छोड़ देगा।
समाज में अपनी पहचान खुद बतानी पड़े, तो समझ लो सफलता अभी दूर है।
हीरे की चमक देखने के लिए अंधेरा चाहिए, क्योंकि धूप में तो काँच का टुकड़ा भी चमकता है।
मूल्य और महत्व
किसी चीज की कीमत मिलने से पहले होती है, इंसान की कीमत खोने के बाद।
पैसे की अहमियत बुरे समय में ही समझ आती है।
किसी के लिए बहुत ज्यादा उपलब्ध मत रहो, वरना वह तुम्हारी कीमत नहीं समझेगा।
अपना मूल्य खुद समझो, दुनिया से उम्मीद मत रखो।
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निष्कर्ष
आचार्य चाणक्य के ये विचार हमें सफलता, व्यवहारिकता और आत्मनिर्भरता सिखाते हैं।
जो व्यक्ति अपने विचारों को नियंत्रित कर सकता है, वह अपने भाग्य को भी नियंत्रित कर सकता है।
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