क्या आप भी काम से ज्यादा विचारों से घिरे रहते हो?
सुधार की ओर पहला कदम जब आप खुद को सुधारने के लिए तैयार हो जाते हैं , तो आपको तुरंत यह अहसास हो जाता है कि दुनिया भी सुधर सकती है। लेकिन अगर कोई आपसे कहे कि इस दुनिया का कुछ नहीं हो सकता, तो समझ जाइए कि वह असल में यह कह रहा है कि "मेरा कुछ नहीं हो सकता।" अगर कोई व्यक्ति यह कहता है कि "मेरी पत्नी घर छोड़कर चली गई," तो उसका वास्तविक अर्थ यह है कि "मैं खुद को सुधारने को तैयार नहीं हूँ।" जो व्यक्ति खुद को सुधारने की ओर बढ़ता है, वह देख पाता है कि हर कोई बदल सकता है और हर किसी को सुधारने की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। एक बार जब आप स्वयं को निर्मलता (शुद्धता) और निर्दोषता के आनंद में डुबो देते हैं, तो आपको यह अनुभव होता है कि यह मिठास सिर्फ आपके लिए नहीं है, बल्कि इसे सबके साथ बाँटना चाहिए। फिर आप यह नहीं सह सकते कि आप तो निर्मल हो गए, लेकिन बाकी सब मलिन (अशुद्ध) रह जाएँ। यही क्षण वह होता है जब आपके भीतर उम्मीद जगती है, और उम्मीद से आगे जाकर श्रद्धा जन्म लेती है। वास्तविकता और विचारों की जटिलता जब आप अपने जीवन का निरीक्षण करते हैं और छोटी-छोटी चीज़ों को...